गुरुवार, 26 मई 2022

कुबुद्धि ने छोड़ो रे भाई,लख चौरासी फिरतां फिरतां,मिनखा देह पाई ।।टेर।। कु...

 

 

'शांत रहकर,
निरंतर कार्य करना ही श्रेष्ठ है।'

कुबुद्धि ने छोड़ो रे भाई - भजन,

कुबुद्धि ने छोड़ो रे भाई,
लख चौरासी फिरतां फिरतां,
मिनखा देह पाई ।।टेर।।

हीरा जनम खोय दीना,
जो दिया तनै साईं,
काम क्रोध नै मार हटाओ,
नारायण ध्यायी ।

कुबुद्धि ने छोड़ो रे भाई,
लख चौरासी फिरतां फिरतां,
मिनखा देह पाई ।।टेर।।

हरि भजतां हिरणाकुस बरजे,
ऐसो अन्याई,
खम्ब फाड़ प्रहलाद उबारयो,
ऑंतां बिखराई।

कुबुद्धि ने छोड़ो रे भाई,
लख चौरासी फिरतां फिरतां,
मिनखा देह पाई ।।टेर।।

ध्रुवजी ध्यान लगायो वन में,
बालपन माँईं,
भक्तन को सरदार बनायो,
बैकुण्ठा जाई।

कुबुद्धि ने छोड़ो रे भाई,
लख चौरासी फिरतां फिरतां,
मिनखा देह पाई ।।टेर।।

जब गजराज गयो जल भीतर,
हरि हरि उचराई,
गरुड़ छोड़ आतुर हो धाया,
ऐसा रघुराई।

कुबुद्धि ने छोड़ो रे भाई,
लख चौरासी फिरतां फिरतां,
मिनखा देह पाई ।।टेर।।

मंदोदरि रावण ने बरजे,
सीता मत ल्याई,
समंदर ऊपर सेतु बांध्यो,
अब तूं कहँ जाई।

कुबुद्धि ने छोड़ो रे भाई,
लख चौरासी फिरतां फिरतां,
मिनखा देह पाई ।।टेर।।

सिसुपाल तो जान बनावे,
बरजे भौजाई,
रुकमणी ने तो कृष्ण ले गयो,
रथ में बैठाई।

कुबुद्धि ने छोड़ो रे भाई,
लख चौरासी फिरतां फिरतां,
मिनखा देह पाई ।।टेर।।

कंस राज जब बैर बढ़ायो,
कृष्ण कुंअर ताईं,
पकड़ केस धरणी पर डारयो,
दांतुन की नाईं।

कुबुद्धि ने छोड़ो रे भाई,
लख चौरासी फिरतां फिरतां,
मिनखा देह पाई ।।टेर।।

जो कुबुद्धि ने छोड़ हरी के,
चरनन चित लाई,
गेनो भगत कहे परमेस्वर,
रीझे पल माईं।

कुबुद्धि ने छोड़ो रे भाई,
लख चौरासी फिरतां फिरतां,
मिनखा देह पाई ।।टेर।।

धन्यवाद!

बुधवार, 25 मई 2022

गउ हत्यारा पापीड़ा ने.,वोट मत दीज्यो जी,मूंडो वांरो देख मत लीज्यो जी,बहना...

 

 

'शांत रहकर,
निरंतर कार्य करना ही श्रेष्ठ है।'

गउ हत्यारा पापीड़ा - भजन,

गउ हत्यारा पापीड़ा ने,
वोट मत दीज्यो जी,
मूंडो वाँरो देख मत लीज्यो जी,
सजन थे सुणज्यो जी।
गउ हत्यारा पापीड़ा ने.,
वोट मत दीज्यो जी,
मूंडो वांरो देख मत लीज्यो जी,
बहना सुणज्यो जी ।।टेर।।

बातां कर कर बहकावेला,
थे तो मत बहकीज्यो जी,
नरकां माहीं जावण री,
त्यारयां मत कीज्यो जी।

 गउ हत्यारा पापीड़ा ने,
वोट मत दीज्यो जी,
मूंडो वाँरो देख मत लीज्यो जी,
सजन थे सुणज्यो जी।
गउ हत्यारा पापीड़ा ने.,
वोट मत दीज्यो जी,
मूंडो वांरो देख मत लीज्यो जी,
बहना सुणज्यो जी ।।टेर।।

चप्पल जूता चमड़े रा थे,
पग में मत पहरीज्यो जी,
सूटकेस बिस्तर चमड़े रा,
छुह मत लीज्यो जी।

गउ हत्यारा पापीड़ा ने,
वोट मत दीज्यो जी,
मूंडो वाँरो देख मत लीज्यो जी,
सजन थे सुणज्यो जी।
गउ हत्यारा पापीड़ा ने.,
वोट मत दीज्यो जी,
मूंडो वांरो देख मत लीज्यो जी,
बहना सुणज्यो जी ।।टेर।।

चूल्हे पर ली पहली रोटी,
गउ माता ने दीज्यो जी,
गउ माता ने नित उठ थे,
परणाम करीज्यो जी।

गउ हत्यारा पापीड़ा ने,
वोट मत दीज्यो जी,
मूंडो वाँरो देख मत लीज्यो जी,
सजन थे सुणज्यो जी।
गउ हत्यारा पापीड़ा ने.,
वोट मत दीज्यो जी,
मूंडो वांरो देख मत लीज्यो जी,
बहना सुणज्यो जी ।।टेर।।

दूध दही अरु घिरत गाय रो,
घर माहीं बारतीज्यो जी,
बेजीटेबल नकली घी सूं,
दूर रहीज्यो जी।

गउ हत्यारा पापीड़ा ने,
वोट मत दीज्यो जी,
मूंडो वाँरो देख मत लीज्यो जी,
सजन थे सुणज्यो जी।
गउ हत्यारा पापीड़ा ने.,
वोट मत दीज्यो जी,
मूंडो वांरो देख मत लीज्यो जी,
बहना सुणज्यो जी ।।टेर।।

गोबर अरु माटी सूं घर में,
आंगण चौक पुरीज्यो जी,
गऊ लोक में बास करो,
हरि दरसण कीज्यो जे।

गउ हत्यारा पापीड़ा ने,
वोट मत दीज्यो जी,
मूंडो वाँरो देख मत लीज्यो जी,
सजन थे सुणज्यो जी।
गउ हत्यारा पापीड़ा ने.,
वोट मत दीज्यो जी,
मूंडो वांरो देख मत लीज्यो जी,
बहना सुणज्यो जी ।।टेर।।

धन्यवाद!

कुलवंती बहना नवधा भगती रा, गहणां पहरल्यो ।।टेर।। कुलवंती बहना - भजन, कुल...

 

 

'शांत रहकर,
निरंतर कार्य करना ही श्रेष्ट है।'

कुलवंती बहना - भजन,

कुलवंती बहना नवधा भगती रा,
गहणां पहरल्यो ।।टेर।।

कथा श्रवण काना रा झूमर,
हरि किरतन रो हार,
सुमिरन मूरति स्याम सुंदर की,
पहरो हियमहं धार हे।

कुलवंती बहना नवधा भगती रा,
गहणां पहरल्यो ।।टेर।।

पद सेवा की पहुँची पहरो,
पहुँचो प्रभु के द्वार,
अरचन आंगलियां री मुदरी,
जतन जड़ाऊदार हे।

कुलवंती बहना नवधा भगती रा,
गहणां पहरल्यो ।।टेर।।

बंदन बोर सीस धर राखो,
हरि चरणां में डार,
नक बेसर हरि नाम उचारो,
उतरो भव सूं पार हे।

कुलवंती बहना नवधा भगती रा,
गहणां पहरल्यो ।।टेर।।

दुलड़ी दासी भाव सूं,
हरि सेवा में हरबार,
सखी भाव का भुजबन्द पहरो,
प्रगटो हिय उदगार हे।

कुलवंती बहना नवधा भगती रा,
गहणां पहरल्यो ।।टेर।।

कटि किंकणी करो व्रत पालन,
हरि ही राखण हार,
नूपुर रह एकांत निकट प्रभु,
नाचो ले करतार हे।

कुलवंती बहना नवधा भगती रा,
गहणां पहरल्यो ।।टेर।।

आत्म निवेदन अंग अंग सजि,
बिनवो बारंबार,
मैं तो कुछ जाणू नहिं प्रभुजी,
लीजो आप सँभार हे।

कुलवंती बहना नवधा भगती रा,
गहणां पहरल्यो ।।टेर।।

धन्यवाद !

मंगलवार, 24 मई 2022

अगम देसां सूं जोगी जी आया,आकर दीना हेला हो,जाग जाग उठ हरि भज प्राणी,सोवण...

 

 

'शांत रहकर,
निरंतर कार्य करना ही श्रेष्ठ है।'

अगम देसां सूं - भजन,

अगम देसां सूं जोगी जी आया,
आकर दीना हेला हो,
जाग जाग उठ हरि भज प्राणी,
सोवण की नहिं वेला हो ।।टेर।।

जिण देही का गरब करे तूं,
बण ठण होरयो छेलो हो,
बिखर जावतां बार न लागे,
बालू का ज्यूं ढेला हो।

अगम देसां सूं जोगी जी आया,
आकर दीना हेला हो,
जाग जाग उठ हरि भज प्राणी,
सोवण की नहिं वेला हो ।।टेर।।

बेटा बहू घर नाती रे गोती,
संपत्ति कुटुम कबीलो हो,
ना कोइ किंण रे संग चल्या है,
जावेला आप अकेला हो।

अगम देसां सूं जोगी जी आया,
आकर दीना हेला हो,
जाग जाग उठ हरि भज प्राणी,
सोवण की नहिं वेला हो ।।टेर।।

इण जग की है रीत पुराणी,
थिर नहिं कोई रहेला हो।
चार दिनां री चमक दमक है,
तीरथ का सा मेला हो।

अगम देसां सूं जोगी जी आया,
आकर दीना हेला हो,
जाग जाग उठ हरि भज प्राणी,
सोवण की नहिं वेला हो ।।टेर।।

तरवर केरा पान ज्यूं टूटे,
रह न सके कोइ भेला हो,
जाय कठे ही दूर सिधावे,
लागे पवन का झेला हो।

अगम देसां सूं जोगी जी आया,
आकर दीना हेला हो,
जाग जाग उठ हरि भज प्राणी,
सोवण की नहिं वेला हो ।।टेर।।

हरि का सुमिरण सेवा जग की,
ए दोउ संग चलेला हो,
धन्य हो जोगी मोकूं जगाया,
आप गुरू हम चेला हो।

अगम देसां सूं जोगी जी आया,
आकर दीना हेला हो,
जाग जाग उठ हरि भज प्राणी,
सोवण की नहिं वेला हो ।।टेर।।

धन्यवाद!


करुणानिधान आपही,सब कष्ट भगतां रो हरया,आयो सरण जो आपके,सब काज वाँरो सरयो ...

 

 

'शांत रहकर,
निरंतर कार्य करना ही श्रेष्ठ है।'

करुणानिधान आपही - भजन,

करुणानिधान आपही,
सब कष्ट भगतां रो हरया,
आयो सरण जो आपके,
सब काज वाँरो सरयो ।।टेर।।

प्रहलाद हित नरसिंघ बनिया,
देख हिरनाकुस डरयो,
बिन सस्त्र नख सूं चीरकर,
मारयो असुर कूँ निस्तरयो।

करुणानिधान आपही,
सब कष्ट भगतां रो हरया,
आयो सरण जो आपके,
सब काज वाँरो सरयो ।।टेर।।

ध्रुव भक्त छाती सूं लगायो,
नेह जननी ज्यूं झरयो,
अंबरीष राख्यो चक्र सूं,
भयभीत दुरवासा फिरयो।

करुणानिधान आपही,
सब कष्ट भगतां रो हरया,
आयो सरण जो आपके,
सब काज वाँरो सरयो ।।टेर।।

गज काज नंगे पाँव धाया,
नाम आधो उच्चरयो,
रक्षा विभीषण की करी,
रावण हत्या धरनी गिरयो।

करुणानिधान आपही,
सब कष्ट भगतां रो हरया,
आयो सरण जो आपके,
सब काज वाँरो सरयो ।।टेर।।

करूणा करी जब द्रोपदी तो,
नीर नयणां सूं ढरयो,
थाक्यो दुसासन खेंच तन से,
वस्त्र-तिलभर ना टरयो।

करुणानिधान आपही,
सब कष्ट भगतां रो हरया,
आयो सरण जो आपके,
सब काज वाँरो सरयो ।।टेर।।

राखी प्रतीग्या भीष्म की प्रभु,
आपरो प्रण बिसरयो,
रच्छा करी सब पांडवांरी,
कौरवां रो बध करयो।

करुणानिधान आपही,
सब कष्ट भगतां रो हरया,
आयो सरण जो आपके,
सब काज वाँरो सरयो ।।टेर।।

सेना भगत रे कारणे प्रभु,
भेष नाई को धरयो,
बण सेठ सांवलसाह हरिजी,
भात नरसी रो भरयो।

करुणानिधान आपही,
सब कष्ट भगतां रो हरया,
आयो सरण जो आपके,
सब काज वाँरो सरयो ।।टेर।।

भयभीत हो जो आपके,
आयो सरण सोई तरयो,
अब देर किंण बिध हो रही,
प्रभु दास चरनन में परयो।

करुणानिधान आपही,
सब कष्ट भगतां रो हरया,
आयो सरण जो आपके,
सब काज वाँरो सरयो ।।टेर।।

धन्यवाद!

सोमवार, 23 मई 2022

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,गीत प्रभु गायो रे ।।टेर। गीत प्रभु गायो रे -...

 

 

'शांत रहकर,
निरन्तर कार्य करना ही श्रेष्ठ है।'

गीत प्रभु गायो रे - भजन,

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

ए तो सास्त्र समंदर मथ लीनो,
ए तो इमरत लियो है निकाल।

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

ए तो पारथ रा सारथि बनिया,
ए तो हिरदो दीनो खोल।

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

ए तो गागर में सागर भरियो,
ए तो घणां समर्थ सुजाण।

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

ए तो देख दसा कलजुगियां री,
ए तो पिघल गया ततकाल।

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

म्हे तो स्वारथ में आंधा बनिया,
ए तो ग्यान नेत्र दरसाय।

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

म्हे तो नासवान में सुख मान्यो,
ए तो परमानंद लखाय।

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

म्हे तो भव सागर में डूब रया,
ए तो लीना बाहर निकाल।  

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

म्हे तो चौरासी लख भुगत रया,
ए तो दीना मुकत कराय।

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

म्हे तो दल दल माहीं फंस रया,
ए तो ऊँचा लिया उठाय।

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

म्हे तो भूखां मरता तड़फ रया,
ए तो दीना तृपत कराय।

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

म्हे तो लोभ फांस गल बिच घाली,
ए तो छिन में देई निकाल।

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

म्हे तो मोह की बेड़ी पहर लेई,
ए तो छिन में दीनी काट।

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

म्हे तो ममता मैल लगाय लियो,
ए तो भगती री गंगा नहलाय।

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

म्हे तो अहंकार में फूल रया,
ए तो चूर चूर कियो डार।

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

म्हे तो विषयां रो विष खाय लियो,
ए तो प्रेम रो इमरत पाय।

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।  

म्हे तो राग द्वेष कर झगड़ रया,
ए तो बासुदेव दरसाय।

ए तो गायो हरि भगतां रे काज,
गीत प्रभु गायो रे ।।टेर।

धन्यवाद!